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'Good Wife सीरीज की समीक्षा: प्रियामनी का कोर्टरूम ड्रामा दिलचस्प विषयों से भरा है लेकिन कहानी में गति धीमी है 2.5/5JioHotstar'

‘Good Wife सीरीज की समीक्षा: प्रियामणि का कोर्ट रूम ड्रामा दिलचस्प विषय लेकर आया है लेकिन कहानी की गति धीमी है 2.5/5 JioHotstar’

एक नई शुरुआत: ‘गुड वाइफ’ की कहानी

जब हम एक नई वेब सीरीज़ के बारे में सोचते हैं, तो उम्मीदें आसमान चूने लगती हैं। ‘गुड वाइफ’ हमें एक ऐसी कहानी में ले जाती है, जो न केवल एक महिला के संघर्ष को दिखाती है, बल्कि हमें न्यायपालिका की जटिलता में भी झांकने का मौका देती है। क्या यह सीरीज़ अपनी कहानी के साथ न्याय कर पाई है? चलिए जानते हैं।

कहानी की बुनियाद

‘गुड वाइफ’ की कहानी टारुनिक (प्रियामणि) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपने पति गुनेसिलन (सम्पथ राज) की गिरफ्तारी के बाद एक नई शुरुआत करने की कोशिश करती है। गुनेसिलन, जो एक अतिरिक्त वकील जनरल हैं, भ्रष्टाचार और सेक्स स्कैंडल के आरोप में जेल जाते हैं। इस मुश्किल समय में, टारुनिक अपने बच्चों की जिम्मेदारियों के बीच अपने पेशेवर जीवन में लौटने का निर्णय लेती है।

सीरीज़ में टारुनिक का संघर्ष, उसके परिवार और कानूनी करियर के बीच संतुलन बनाने की कोशिश को दिखाया गया है। यह एक ऐसा सफर है, जो हमें न केवल परिवार के मुद्दों से परिचित कराता है, बल्कि भारतीय न्याय प्रणाली की पेचीदगियों में भी ले जाता है।

अभिनय और निर्देशन

प्रियामणि ने टारुनिक के किरदार में जान डाल दी है। उनकी अदाकारी इतनी विश्वसनीय है कि दर्शक उनके साथ हर कदम पर चलते हैं। सहयोगी कलाकारों का प्रदर्शन भी सराहनीय है, जो कहानी में गहराई और विविधता लाते हैं। हालांकि, कभी-कभी कहानी की गति धीमी पड़ जाती है, जिससे दर्शकों की रुचि थोडा कम हो सकती है।

सिनेमैटोग्राफी और संगीत

सीरीज़ की सिनेमैटोग्राफी ने हमें कानूनी दुनिया की सच्चाई दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। हर दृश्य को इस तरह से फिल्माया गया है कि वह कहानी की गहराई को उभारता है। संगीत भी वातावरण को सही दिशा में ले जाने में मदद करता है, जिससे हर भावना को बेहतर तरीके से महसूस किया जा सके।

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दर्शकों की प्रतिक्रिया

दर्शकों ने ‘गुड वाइफ’ को मिली-जुली प्रतिक्रियाएं दी हैं। कुछ ने इसकी गहनता और विषयवस्तु की सराहना की है, जबकि अन्य ने इसकी धीमी गति और कथानक की कमज़ोरियों की ओर इशारा किया है। यह सच है कि सीरीज़ में कुछ ऐसे अंश हैं जो हमें सोचने पर मजबूर करते हैं, विशेषकर युवा लड़कियों के शोषण और कानूनी मामलों के पेचीदगी पर।

समापन विचार

‘गुड वाइफ’ का एक अनूठा पहलू यह है कि यह न केवल एक कहानी है, बल्कि यह एक संदेश भी है। यह दर्शाता है कि कैसे एक महिला अपने अधिकारों के लिए लड़ सकती है, भले ही परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों।

यह सीरीज़ JioCinema पर उपलब्ध है और इसे 5 में से 2.5 की रेटिंग दी गई है।

क्या आप भी इस कहानी से अपनी ज़िंदगी के किसी पहलू को जोड़ते हैं? या फिर क्या आपको लगता है कि ऐसी कहानियों को और गहराई से पेश किया जाना चाहिए? आपकी राय हमें बताएं!

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