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'Sunny Sanskari Ki Tulsi Kumari की समीक्षा: वरुण धवन और जान्हवी कपूर के कपड़े और डांस में चमक, लेकिन कहानी कहीं नजर नहीं आती 2.0/5'

‘Sunny Sanskari Ki Tulsi Kumari की समीक्षा: वरुण धवन और जान्हवी कपूर के कपड़े और डांस में चमक, लेकिन कहानी कहीं नजर नहीं आती 2.0/5’

‘सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी’ – एक रंगीन रोमांटिक कॉमेडी की कहानी

जब हम किसी फिल्म या वेब सीरीज़ का नाम सुनते हैं, तो हमारी कल्पना में उस कहानी की महक, रंग और भावनाएँ तैरने लगती हैं। आज हम बात करेंगे ‘सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी’ की, जिसमें वरुण धवन और जान्हवी कपूर की जोड़ी ने दर्शकों का ध्यान खींचा है। लेकिन क्या यह फिल्म वाकई में उम्मीदों पर खड़ी उतरती है? चलिए जानते हैं।

कहानी का सार

फिल्म की कहानी दिल्ली की पृष्ठभूमि में बुनी गई है। सनी (वरुण धवन) एक संवेदनशील युवक है, जो अपनी खूबसूरत प्रेमिका अनन्या (सान्या मल्होत्रा) से शादी के लिए प्रस्ताव रखता है, लेकिन उसे निराशा मिलती है। अनन्या जल्द ही अमीर विक्रम (रोहित सराफ) से सगाई कर लेती है। इस बीच, तुलसी कुमारी (जान्हवी कपूर) विक्रम की बचपन की दोस्त है। सनी और तुलसी मिलकर अपने पूर्व प्रेमियों को जलाने के लिए एक नाटक रचते हैं, जिसमें वे एक झूठी रोमांस की कहानी बनाते हैं।

अभिनय का जादू

वरुण धवन ने सनी की भूमिका में बेहतरीन अदाकारी की है, लेकिन कभी-कभी ऐसा लगता है कि वह अपनी भूमिका में फंसे हुए हैं। जान्हवी कपूर ने तुलसी का किरदार निभाते हुए अपने भावनाओं में गहराई लाई है, फिर भी दोनों के बीच की केमिस्ट्री कमजोर लगती है। सान्या और रोहित का किरदार भी कुछ खास नहीं उभर पाते, जिससे कहानी में गहराई की कमी महसूस होती है।

निर्देशन और सिनेमैटोग्राफी

शशांक खेतान का निर्देशन हमें एक रंग-बिरंगे सेटिंग में ले जाता है, लेकिन कहानी के प्रवाह में कमी है। फिल्म में गाने इतनी बार आते हैं कि ऐसा लगता है जैसे यह एक म्यूज़िकल बन गई है। शादी की हर रस्म में गाने और नृत्य के बीच, कहानी कहीं खो जाती है।

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संगीत और हास्य

फिल्म में गाने सुनने में तो अच्छे हैं, लेकिन उनकी भरमार दर्शकों को बोर कर सकती है। हंसी-मजाक की कोशिशें भी कहीं-कहीं मजबूर लगती हैं, और कहानी की गंभीरता को कम कर देती हैं।

दर्शकों की प्रतिक्रिया

कुल मिलाकर, ‘सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी’ एक हल्की-फुल्की फिल्म है, जिसमें सब कुछ है, लेकिन रोमांच और गहराई की कमी है। यह फिल्म आपके दिल को छूने में नाकामयाब रहती है और आपको सोचने पर मजबूर करती है कि क्या वाकई प्यार और दोस्ती को इस तरह दिखाया जा सकता है।

निष्कर्ष

यह फिल्म Netflix पर रिलीज़ हुई है और इसे 5 में से 2 रेटिंग दी गई है।

क्या आपको लगता है कि फिल्म में प्यार और हास्य का सही मिश्रण हो सकता था? क्या ऐसी कहानियाँ हमें सिखाती हैं या केवल मनोरंजन का साधन बनकर रह जाती हैं? अपने विचार हमारे साथ साझा करें!

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