एक अनोखी कहानी: येनुगू थोंडम घत्तिकचलम
किसी ने सच ही कहा है, जिंदगी कभी-कभी हमें ऐसे मोड़ पर ले आती है, जहाँ हम सोचते हैं कि क्या हमें अपने सपनों को जीने का दूसरा मौका मिलेगा? इसी सवाल का जवाब देती है फिल्म "येनुगू थोंडम घत्तिकचलम"। यह कहानी है घत्तिकचलम (नरेश) की, जो रिटायरमेंट के बाद अपने दो बेटों पर निर्भर है। पत्नी के गुजरने के बाद, वह अकेलेपन से जूझ रहा है। फिर उसकी जिंदगी में आती है भव्यानी (वार्षिणी), जो उसकी देखभाल करती है। और यहीं से शुरू होता है एक नया अध्याय, जब वह अपने बुढ़ापे में फिर से शादी करने का निर्णय लेता है।
कहानी का सार
जब घत्तिकचलम अपनी उम्र के 65वें साल में भव्यानी से विवाह करने का निर्णय लेता है, तो उसका परिवार इस पर कैसे प्रतिक्रिया करता है? क्या समाज इस कदम को स्वीकार करेगा? फिल्म का यही मुख्य प्रश्न है। लेकिन, यहाँ पर एक ट्विस्ट है। यह कहानी केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उस समय की भी है जब रिश्ते पैसे पर निर्भर होते जा रहे हैं।
अभिनय और निर्देशन
रवि बाबू, जो इस फिल्म के लेखक और निर्देशक भी हैं, अपनी खास शैली के लिए जाने जाते हैं। वह अक्सर कॉमेडी और थ्रिलर जॉनर में फिल्में बनाते हैं। "येनुगू थोंडम घत्तिकचलम" में उन्होंने कॉमेडी के रंग में लौटने का प्रयास किया है। हालांकि, कहानी की प्रस्तुति कहीं न कहीं कमजोर नजर आती है। नरेश ने अपनी भूमिका में बेहतरीन प्रदर्शन किया है, जबकि वार्षिणी ने अपने संवादों से कहानी में जान डाली है।
सिनेमैटोग्राफी और संगीत
फिल्म की सिनेमैटोग्राफी औसत है, और कई बार तो ऐसा लगता है कि दृश्य थोड़े सीमित हैं। हालांकि, संवाद मजेदार हैं और कुछ पलों में हंसी लाते हैं। लेकिन, फिल्म में कुछ हास्य दृश्य ऐसे हैं जो ज्यादा प्रभावी नहीं लगते।
दर्शकों की प्रतिक्रिया
फिल्म को लेकर दर्शकों की प्रतिक्रिया मिली-जुली रही है। कुछ लोग इसे मनोरंजक मानते हैं, जबकि कई इसे सामान्य समझते हैं। विशेषकर, कुछ अजीब क्षण जैसे कि एक शव का अचानक जीवित हो जाना, दर्शकों को थोड़ा चौंका देता है।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, "येनुगू थोंडम घत्तिकचलम" एक दिलचस्प कहानी प्रस्तुत करती है, लेकिन रवि बाबू की थोड़ी-सी अतिशयोक्ति ने इसे कमजोर बना दिया है। यह फिल्म ETV Win और OTTplay Premium पर उपलब्ध है और इसे 2/5 की रेटिंग दी गई है।
क्या आप भी सोचते हैं कि उम्र के इस पड़ाव पर प्यार और रिश्ते की फिर से परिभाषा को खोजना चाहिए? क्या बुढ़ापे में फिर से प्यार पाना संभव है? अपनी राय साझा करें!









