ज़िद्दी इश्क: एक भूलने लायक अनुभव
जब आप एक कहानी देखने बैठते हैं, तो आपकी उम्मीद होती है कि वह आपको अपनी दुनिया में ले जाएगी, आपके दिल को छू लेगी। लेकिन ज़िद्दी इश्क, जो राज चक्रवर्ती के निर्देशन में बनी है, उस उम्मीद पर खरा नहीं उतरता। यह वेब सीरीज़ अपने अनूठे किरदारों और संभावनाओं के बावजूद, भावनाओं की कमी से जूझती है।
कहानी का सार
ज़िद्दी इश्क की कहानी एक साधारण बंगाली लड़की मेहुल (आदिती पोहनकर) पर केंद्रित है, जो अपने आकर्षक ट्यूशन टीचर शेखर दा (परमब्रत चट्टोपाध्याय) के प्रति एकतरफा प्यार रखती है। यह प्यार धीरे-धीरे जुनून में बदल जाता है, जब शेखर दा की संदिग्ध मौत होती है, जिसे आत्महत्या के रूप में बताया जाता है। मेहुल को यकीन है कि यह आत्महत्या नहीं है और वह सच्चाई जानने के लिए एक खतरनाक यात्रा पर निकल पड़ती है।
निर्देशन और अभिनय
राज चक्रवर्ती ने अपने पहले हिंदी प्रोजेक्ट में एक ऐसी कहानी को पेश किया है, जो बहुत सीधा और सपाट लगता है। अभिनय के मामले में, परमब्रत ने जितनी कोशिश की, आदिती की कमी खलती है। कई महत्वपूर्ण दृश्यों में उनकी अभिव्यक्ति की कमी ने कहानी की गहराई को कमजोर कर दिया है।
शेखर दा के प्रेमिका सायंतिका (रिया सेन) का चित्रण भी उथला है, जो कहानी के महत्वपूर्ण मोड़ पर अनियोजित लगता है। वहीं, सुमीत व्यास ने सिद्धार्थ के रूप में एक अच्छा प्रदर्शन किया है, जो कहानी में एक भरोसेमंद कड़ी बनते हैं, लेकिन उनकी भूमिका भी कहानी को अधिक गहराई नहीं दे पाती।
सिनेमेटोग्राफी और संगीत
सिनेमेटोग्राफी सामान्य है, जो कहानी की भावनाओं को सही तरीके से नहीं उजागर कर पाती। संगीत ने भी कहानी में कोई खास जादू नहीं भरा, जो कि एक थ्रिलर के लिए बेहद आवश्यक होता है।
दर्शकों की प्रतिक्रिया
इस सीरीज़ को देखने के बाद दर्शकों की प्रतिक्रिया मिश्रित रही है। जहां कुछ इसे एक नए दृष्टिकोण के रूप में देख रहे हैं, वहीं अधिकांश इसे एक साधारण और बिना प्रभावी कहानी मानते हैं।
निष्कर्ष
ज़िद्दी इश्क, जो जियोहॉटस्टार और OTTplay प्रीमियम पर स्ट्रीमिंग हो रही है, एक ऐसी कहानी है जो अपने मूल रूप में बेहतरीन थी, लेकिन इसकी हिंदी रूपांतरित संस्करण में वह जादू नहीं है। इसे 5 में से 2 रेटिंग दी गई है।
क्या आप भी इस सीरीज़ को देखेंगे, या आप मानते हैं कि कुछ कहानियाँ बिना बदलाव के ही रहनी चाहिए?









